जीवन मंत्र डेस्क। हमारे मन जब भी कोई अच्छा काम करने का विचार आए तो उसे तुरंत कर लेना चाहिए। अच्छे काम को टालना नहीं चाहिए, वरना बाद में बुरे विचार बढ़ने लगते हैं और हम अच्छे काम को करने का विचार छोड़ देते हैं। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार एक सेठ नाव से नदी पार कर रहा था। रास्ते में उसकी नाव में छेद हो गया और वह डूबने लगा। उसने एक मछवारे को देखा तो उसे आवाज लगाकर मदद के लिए बुलाया। सेठ ने मछवारे से बोला कि मुझे बचा लो मैं तुम्हें अपनी सारी संपत्ति दे दूंगा। मछवारे ने सेठ को अपनी नाव में बैठा लिया।
- कुछ देर बाद सेठ सोचने लगा कि मैंने कुछ ज्यादा हो बोल दिया है, पूरी संपत्ति दे दूंगा तो मैं क्या करूंगा। उसने मछवारे से कहा कि भाई बुरा मत मानना, लेकिन मैं तुम्हें संपत्ति नहीं दे पाउंगा, मेरी पत्नी गुस्सा करेगी। मछवारे ने कुछ नहीं कहा।
- सेठ फिर सोचने लगा कि इसने कौन सा बड़ा काम किया है, सिर्फ मुझे बचाया ही तो है। ये तो इसका धर्म है। मानवता के नाते इसे मुझे बचाना ही था। इस छोटे से काम के लिए इतनी संपत्ति नहीं दे सकता। उसने फिर मछवारे से कहा कि भाई मेरी पत्नी और बच्चे भी हैं, उनकी देखभाल भी मुझे ही करनी है। इसीलिए मैं तुम्हें एक चौथाई संपत्ति दे दूंगा।
- मछवारा चुप रहा। थोड़ी देर बाद नाव किनारे पहुंच गई और दोनों नाव से उतर गए। जाते-जाते सेठ ने मछवारे को सिर्फ 5 स्वर्ण मुद्राएं दी। मछवारे ने कहा कि सेठ जी ये भी आप ही रख लीजिए, मुझे कुछ नहीं चाहिए। ये तो मेरा कर्तव्य था। सेठ नहीं माना और 5 मुद्राएं देकर चले गया।
कथा की सीख
इस कथा की सीख यह है कि हम जब भी कोई अच्छा काम करने की सोचते हैं, उसे तुरंत कर देना चाहिए, क्योंकि जैसे-जैसे समय निकलता है, हम उस काम को करने का विचार छोड़ देते हैं। हमारा मन बुरे काम को तुरंत करना चाहता है, हम गुस्सा तुरंत करते हैं, लेकिन अच्छे काम टाल देते हैं। बुरे कामों को टालना चाहिए और अच्छे काम को तुरंत कर देना चाहिए। तभी हम सुखी हो सकते हैं।
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